हर शाख़ पे उल्लु बैठा है, अंजा़में गुलिस्तां क्या होगा..
अगर हम भारत की वर्तमान स्थिति पर नज़र डालें तो बिलकुल यही महसूस होगा। दिल्ली में सामाजिक
समता के इतने बड़े भक्त बैठे हैं कि वो इसके लिए सारी समझदारी छोड़कर, लाल कपड़े के पीछे पड़े साँड
की तरह भाग रहें हैं। और इस भागमभाग में अपने साथ पूरे समाज को ध्वस्त करते चले जा रहें हैं। अर्जुन
सिंह अपनी बुद्धिमानी का परिचय दे ही चुके हैं, और साथ देने के लिए मीरा कुमारी भी चलीं आईं।
भाजपा ने तो खैर अपना ढीलमढाल रवैया जाहिर कर ही दिया।
गुजरात कुछ दिन से शांत था, तो समय बिताने के लिए लोग आमिर ख़ान के पीछे पड़ गये। अलीगढ़ में छो
टी सी जगह पर मंदिर/मस्जिद बनाने के लिए झगड़ा किया, 24 बेगुनाह मारे गए। मुज्जफ्फरनगर में
तथाकथित संस्कृति के रक्षकों ने कुछ किशोरों की पिटाई कर भारतीय संस्कृति को बहुत रौशन किया।
तमिलनाडू और आंध्र प्रदेश ने इसाईयों को लुभाने की कोशिश में दा विंची कोड पर रोक लगा दी। मुंबई
में सरकार साल भर चिल्लाती रही की इस साल उसने बाढ़ से बचने के भरपूर प्रबंध किये हैं। एक बारि
श में इज्ज़त धुल गयी।
मूर्खता और बेशर्मी का मानो साम्राज्य फैला हुआ हो। इसके बाद हम ये दावा करने से नहीं चूकते कि
कुछ सालों में हम सबसे बड़ी शक्ति बन जाएंगे, और बहुत अमीर देश बन जाएंगे। फटी धोती पर रेशमी
अचकन नहीं सुहाती। ये 8% प्रगति का मुलम्मा इतनी जल्दी उतरेगा की धोती भी नहीं बचेगी।
हमें अपनी सोच बड़ी करनी पड़गी, तभी आगे बढ़ पाएंगे। समाज में एक दूसरे की इज्ज़त करनी सीखनी
पड़गी, तब किसी बाहर वाले के सामने आंखें उठा सकेंगे।
आमीन...
अनुराग
Tuesday, May 30, 2006
भारत में बढ़ता पागलपन
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Hey Anuraag...This is Kinjal here from the other side of the US..corvallis, OR.
ReplyDeleteWe had great time in Blacksburg, and i would never forget how helpful you were.
BTW, How are you? how's everything? Great Blog...in hindi,,,wow!! Keep it up my friend.